मुद्रास्फीति क्या है, कारण और इसे कैसे प्रबंधित करें |What it is Inflation, reasons,and How to Manage It

What it is Inflation

पिछले काफी समय से विश्व की अर्थव्यवस्था अच्छी नहीं चल रही है। पूरे विश्व में काफी सारी बड़ी-बड़ी नामी-गिरामी कंपनीज ने अपने वहां से हजारों की संख्या में कर्मचारियों को हटा दिया है जिसे ले ऑफ भी कहते हैं और अभी भी काफी सारी कंपनीज में नई जॉइनिंग नहीं हो रही है। इसके अलावा पिछले काफी टाइम से मुद्रास्फीति की समस्या भी देखने को मिल रही है। ऐसे में हमारे आज के आर्टिकल में हम आपको मुद्रास्फीति और इससे जुड़ी बहुत सारी महत्वपूर्ण जानकारियां देने वाले हैं जैसे कि मुद्रास्फीति क्या है, इसके पीछे के किस किस कारण हैं, इसकी वजह से क्या-क्या दिक्कतें हो रही है और कैसे प्रॉपर प्लानिंग और बजटिंग करके इन परेशानियों से बचा जा सकता है आदि। इन सारी बातों को सही से समझने के लिए इस आर्टिकल को पूरा जरूर पढ़ें।

Table of Contents

मुद्रास्फीति क्या होती है (What is inflation)

तो आइए सबसे पहले यह जानते हैं कि मुद्रास्फीति क्या होती है।

मुद्रास्फीति यानी कि इन्फ्लेशन वह रेट है जिस पर वस्तुओं और सेवाओं की कीमतें समय के साथ बढ़ रही है। इस वजह से रहन-सहन का खर्च बढ़ता जा रहा है जबकि पैसे की वैल्यू कम होती जा रही है और जब भी इन्फ्लेशनबढ़ता है तो इस बात का मतलब यह होता है कि जो चीज आप पहले कम दाम पर खरीद रहे थे अब आपको उसी सेम सामान के लिए ज्यादा पैसे चुकाने होंगे। इसे थोड़ा और आसान तरीके से समझे तो आप यह समझिए कि इन्फ्लेशन रेट के बढ़ने से किसी इंसान की परचेसिंग पावर कम हो रही है क्योंकि अब उसे सेम समान को खरीदने के लिए ज्यादा पैसे देने पड़ रहे हैं। तो अगर उसकी इनकम नहीं बढ़ रही है पर इन्फ्लेशन रेट बढ़ रहा है तो उसे उसके लिविंग स्टैंडर्ड को मेंटेन करने के लिए काफी दिक्कत का सामना करना पड़ेगा। इन्फ्लेशन को कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स सीपीआई(consumer price index, CPI) और होलसेल प्राइस इंडेक्स, डब्ल्यूपीआई (Wholesale price index, WPI) से नापा जाता है। यह इंडेक्स ग्राहकों के द्वारा खरीदे जाने वाले सामानों और सेवाओं के कीमतों को ट्रैक करता है। काफी समय से इन्फ्लेशन वर्ल्ड इकोनामी के लिए काफी चिंता का विषय बनी हुई है और इन्फ्लेशन को कंट्रोल में रखने के लिए पूरी दुनिया के बैंक्स और गवर्नमेंट तरह-तरह की पॉलिसीज लांच कर रही हैं जिससे इन्फ्लेशन रेट ज्यादा ना बढ़े।

मुद्रास्फीति के पीछे के कारण (Reasons behind inflation)

मुद्रास्फीति के पीछे कुछ कारण होते है तो आइए इन कारणों के बारे में थोड़ा विस्तार में जान लेते हैं। 

मांग में वृद्धि (Increase in demand)

जब किसी भी इकॉनमी में सामान और सेवाओं की मांग उसकी सप्लाई से ज्यादा बढ़ जाती है तो इस वजह से इन सामानों और सेवाओं की कीमतें भी बढ़ जाती हैं जिसकी वजह से इन्फ्लेशन होता है। इस तरह के इन्फ्लेशन के पीछे बहुत से कारण हो सकते हैं जैसे उस प्रोडक्ट या सर्विस की ज्यादा डिमांड, ग्राहकों की खर्च करने की क्षमता का बढ़ जाना आदि।

उत्पादन लागत में वृद्धि (Increase in production costs)

जब किसी सामान या सेवा की प्रोडक्शन कॉस्ट बढ़ जाती है तो इस वजह से उस के बिजनेस ओनर्स को भी अपने प्रॉफिट मार्जिन को मेंटेनरखने के लिए उस सामान और सेवा के प्राइस को बढ़ाना पड़ता है और इस वजह से भी इन्फ्लेशन हो जाता है। इस तरह के इन्फ्लेशन के पीछे बढ़ी हुई एनर्जी कॉस्ट, मटीरियल की बढ़ी प्राइजेस आदि जैसे कारण हो सकते हैं।

विस्तारक मौद्रिक नीतियां (Expansionary monetary policies)

जब सेंट्रल बैंक इकॉनमी में मनी सप्लाई को बढ़ा देते हैंतो इससे पैसे की वैल्यू कम हो जाती है और इस वजह से भी इन्फ्लेशन हो जाता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि इस वजह से अब ज्यादा मनी सरकुलेशन में आ चुका होता है और जिसकी वजह से करेंसी की इंडिविजुअल यूनिट की वैल्यू कम हो जाती है और प्राइजेसबढ़ जाते हैं।

मुद्रास्फीति की उम्मीदें (Expectations of inflation)

इसके अलावा ऐसा भी देखा जाता है कि कई बार लोगों को लगता है कि किसी सामान्य सेवा की प्राइस आगे जाकर के बढ़ने वाली है जिसकी वजह से वह अभी से ही उसके लिए ज्यादा खर्च करने लगते हैं ताकि उन्हें आगे जाकर के ज्यादा प्राइजेस पे ना करनी पड़े। इसकी वजह से भी इन्फ्लेशन आ जाता है।
तो अब जबकि आपने मुद्रास्फीति के पीछे के कुछ जरूरी कारणों के बारे में जान लिया है। तो आइए, अब जानते हैं कि कैसे अपनी रोजमर्रा की लाइफमें छोटे छोटे चेंजेस करके और कुछ समझदार इंवेस्टमेंट निर्णय लेकर के आप मुद्रास्फीति से बच सकते हैं।

अपने खर्चों को कम करें और प्रॉपर बजट को फॉलो करें (Cut down on your expenses and stick to a proper budget)

इन्फ्लेशन से बचने के लिए सबसे जरूरी काम यह है कि आपको अपने इनकम के अकॉर्डिंग बजट बनाकर के अपने खर्चों को कम करना होगा। आप पिछले कुछ समय के इंफ्लेशन के ट्रेंड्स के हिसाब से फ्यूचर के इन्फ्लेशन रेट को काफी हद तक गेस कर सकते हैं और आपको उसी हिसाब से अपने खर्चों को कम करना होगा और एक प्रॉपर बजट बना करके उसे फॉलो करना होगा। आपको अपनी सेविंग भी इसी के हिसाब से सेट करनी होगी।

सेविंग और इन्वेस्टमेंट स्टार्ट कर दें (Start saving and investing)

अगर अभी तक आप अपनी इनकम का ज्यादातर हिस्सा ऐसे ही कहीं पर भी खर्च कर देते थे। तो अब आपको अपने डिसीजन पर एक बार फिर से सोचने की जरूरत है। क्योंकि आने वाले समय में हो सकता है कि पैसे की वैल्यू और भी ज्यादा कम हो जाए और आपको आपका स्टैंडर्ड ऑफ लिविंग कम करना पड़े। इससे बचने के लिए आपको अभी से सेविंग और इन्वेस्टमेंट स्टार्ट कर देना चाहिए। आप चाहे तो स्टॉक मार्केट में इन्वेस्टमेंट करना भी स्टार्ट कर सकते हैं। इसके लिए आप बहुत थोड़े अमाउंट से भी इन्वेस्टमेंट स्टार्टकर सकते हैं। हालांकि आपकी यह बात सही है कि स्टॉक मार्केट और इन्वेस्टमेंट यह दोनों ही बहुत रिस्की हैं पर आप को यह बात समझनी होगी की इन्वेस्टमेंट ना करना भी एक तरीके का रिस्क ही है क्योंकि इन्फ्लेशन का मतलब सिर्फ यह नहीं होता है कि इससे चीजों की कीमतें बढ़ेंगी बल्कि इसका मतलब यह भी होता है कि पैसे की वैल्यूकम होती जा रही है। तो सोचिये, अगर सालाना इन्फ्लेशन रेट अगर इसी तरह से बढ़ता रहा और अगर आपने अपने पैसों को इन्वेस्ट नहीं किया तो आने वाले अगले कुछ सालों में आपके इन पैसों की वैल्यूघटकर और भी कम हो जाएगी। तो इसलिए आपको ऐसे फाइनेंशियल असेट्स में इन्वेस्ट करना होगा जो कि आपको इन्फ्लेशनरेट से भी ज्यादा का रिटर्न दे सकें।

अपने पोर्टफोलियो को भी डायवर्सिफाई करें (Diversify your portfolio as well)

अगर आपने ऐसे इन्वेस्टमेंट स्कीम्स में इन्वेस्ट कर रखा है जो की इन्फ्लेशन से बहुत ज्यादा प्रभावित होते हैं तो आपको अपने पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाई करके रखना चाहिए और ऐसे ऐसेट्स में इन्वेस्ट करना चाहिए जो कि इन्फ्लेशन रेट में बढ़त होने पर हायर पोटेंशियल वैल्यू दे सके। इससे आपको आगे चलकर के काफी अच्छा रिटर्न मिलेगा। आप चाहे तो डायरेक्ट म्यूच्यूअलफंड्स में भी इन्वेस्ट कर सकते हैं। डायरेक्ट म्युचुअल फंड में इन्वेस्टकरना रेगुलर प्लांस के मुकाबले ज्यादा फायदेमंद साबित हो सकता है क्योंकि डायरेक्ट म्युचुअल फंड में आपको एजेंट को कुछ पे नहीं करना होता है और इसमें एक्सपेंस रेशियो भी लो होता है। रेगुलरप्लान के साथ अक्सर ऐसा होता है कि इसके साथ कई तरह की फीस और कमीशन जुड़े होते हैं जिसकी वजह से आपका नेट प्रॉफिट घट करके काफी कम रह जाता है। इसलिए डायरेक्ट म्युचुअल फंड्स में इन्वेस्ट करके आप लॉन्ग टर्म में काफी अच्छा रिटर्न कमा सकते हो यह एक अच्छा सेविंग ऑप्शन है और इस वजह से आपको अच्छा रिटर्नमिलता है।

टैक्स पर सेविंग करने वाले इंवेस्मेंट स्कीम्स में निवेश जरूर करें (Make sure to invest in tax saving investment schemes)

आपको तो यह पता ही होगा कि आप बहुत सारे इन्वेस्टमेंट स्कीम्स के माध्यम से अपने टैक्स पर बचत कर सकते हैं। हालांकि, यह बचत आपको अभी बहुत कम लगेगी पर इससे आप आगे चलकर के काफी ज्यादा बचत कर पाएंगे। इसके अलावा टैक्स में बचत के साथ-साथ आप काफी सारी इन्वेस्टमेंट स्कीम्स में भी धीरे धीरे निवेश करते जाएंगे जिससे आगे चलकर पर आप अच्छी सेविंगसे साथ साथ इन्फ्लेशन से भी बचे रहेंगे। इसके अलावा इन स्कीम्सको फॉलो करने से धीरे धीरे आप काफी ज्यादा अमाउंट सेव कर लेंगे और आपमे सेविंग को लेकर एक डिसिप्लिन भी आ जायेगा जिससे आप इकॉनॉमी की इन दिक्कतों को पहले ही समझ कर उनसे बचने का इंतजाम कर लेंगे।

तो हमारे आज के इस आर्टिकल में हमने मुद्रास्फीति और इससे होने वाली परेशानियों और इन परेशानियों से कैसे बचा जाए, इन सारी बातों के बारे में काफी विस्तार में जाना है। आपको यह आर्टिकल कैसा लगा इस बारे में हमें कमेंट करके जरूर बताएं। इसके अलावा अगर इस आर्टिकल को लेकर आपके कोई और सुझाव या सवाल हैं तो वह भी आप हमें कमेंट करके बता सकते हैं। हम आपके सवालों का जवाब देने की पूरी कोशिश करेंगे।

डिसक्लेमर: इस लेख में प्रदान की गई जानकारी केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है और इसका उद्देश्य वित्तीय, निवेश या पेशेवर सलाह नहीं है। इस लेख की जानकारी इंटरनेट से सार्वजनिक रूप से उपलब्ध जानकारी और शोध पर आधारित है और पेशेवर सलाह का विकल्प नहीं है। जबकि हमने यह सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास किया है कि प्रदान की गई जानकारी सटीक और अद्यतित है, हम सभी सूचनाओं की सटीकता की गारंटी नहीं दे सकते। कोई भी निवेश निर्णय लेने से पहले हमेशा एक वित्तीय सलाहकार या अन्य पेशेवर से परामर्श करने की सलाह दी जाती है। इस लेख के लेखक और प्रकाशक को प्रदान की गई जानकारी में किसी भी अशुद्धि या त्रुटि या इस जानकारी के आधार पर की गई किसी भी कार्रवाई के लिए उत्तरदायी नहीं ठहराया जाएगा।

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